Friday, December 12, 2008

आजकल मेरी हर बात बस सपनों सी होती है

आजकल मेरी हर बात बस सपनों सी होती है
लेकिन नींद खुद मेरे आंगन में दुश्मन बन सोती है
करता हूं मैं जो प्रयास उसे रिझाने का
वो छिटक, कहती है काम है तेरा लोगों को जगाने का

Thursday, December 11, 2008

मैंने तो फूलों की तरह खुशबू बांटी

मैंने तो फूलों की तरह खुशबू बांटी
पर मेरे हिस्से कांटे ही रहे
दिल की दौलत को खूब बांटा लोगों में

पर दिल के बाजार में घाटे ही रहे
और लोगों के कहे पर चुल्लू में भी डूब गए

पर किस्मत की हम वहां भी नाटे ही रहे
अब किसे सुनाए अपनी खैर

मुझे अपने ही लगने लगे हैं गैर
यूं तो मर गए होते हम
पर जिंदगी कहती है थोड़ा और थम